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रांची/डेस्क: राजधानी रांची के हेहल स्थित ITI बस स्टैंड की हालत इन दिनों बद से बदतर हो गई है. हल्की बारिश ने ही इस सार्वजनिक स्थल की पोल खोल दी है. पूरा बस स्टैंड कीचड़ में तब्दील हो गया है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सबसे अधिक परेशानी उन यात्रियों को हो रही है जो छोटे बच्चों या बुजुर्गों के साथ सफर कर रहे हैं.
रोजाना 200 से अधिक बसों का परिचालन
रांची का अंतर्राज्यीय ITI बस स्टैंड से रोजाना 200 से अधिक बसों का परिचालन होता है. लेकिन बरसात के मौसम में बस स्टैंड गटर में तब्दील हो जाता है. यहां काम करने वाले स्टाफ ने बताया कि बारिश में घुटनों तक कीचड़ जमा हो जाता है. यात्री जैसे-तैसे अपने कपड़े और सामान बचाते हुए बस तक पहुंचने की कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार फिसलकर गिर जाते हैं. ओड़िशा, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से आने वाले यात्री यहां की दुर्दशा देखते हैं, तो रांची और झारखंड को लेकर एक नकारात्मक सोच उनके मन में बनती है.
निगम को सालाना लगभग 80 लाख रुपये की आमदनी
बस स्टैंड से प्रतिदिन 200 से अधिक बसें गुमला, लोहरदगा, लातेहार, पलामू, गढ़वा, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे क्षेत्रों के लिए चलती हैं. यह स्टैंड न सिर्फ यातायात का अहम केंद्र है, बल्कि रांची नगर निगम के लिए राजस्व का भी बड़ा स्रोत है. निगम को सालाना लगभग 80 लाख रुपये की आमदनी होती है, लेकिन इसके विकास और रखरखाव की कोई योजना नजर नहीं आती.
यात्रियों के इंतजार के लिए कोई सुविधा नहीं
वहीं कुछ लोगों ने बताया कि यहां यात्रियों के इंतजार के लिए कोई सुविधा नहीं है. बैठना तो यहां खड़ा होना भी दुश्वार है. कीचड़ से पनप रही गंदगी और दुर्गंध से यात्री बस स्टैंड प्रवेश नहीं करते हैं. कई बार लोगों को सुलभ शौचालय तक पहुंच भी एक चुनौती बन जाती है. बस स्टैंड के पिछले हिस्से में बना यह शौचालय कीचड़ से घिरा हुआ है, जिससे वहां तक पहुंचना मुश्किल हो गया है.
अब सवाल यह उठता है कि जब सरकार को सालाना यहां से लाखों का राजस्व मिलता है, तो यहां काम करने वाले कर्मचारियों और यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं मिल पा रही हैं? लोग उम्मीद कर रहे हैं कि नगर निगम जल्द इस समस्या को गंभीरता से लेगा और बस स्टैंड की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाएगा.